न ही कभी खरीदी जा सकती हैं खुशियाँ। दिखाने के लिए कोई दिखावा नहीं माँगती खुशियाँ। न ही कभी खरीदी जा सकती हैं खुशियाँ। दिखाने के लिए कोई दिखावा नहीं माँगती खुशि...
एक कला है, जोड़े रखना सब से संबंध। एक कला है, जोड़े रखना सब से संबंध।
हर रंग का वर्णन करो तो, पन्ने भी पड़ जाएंँगे कम। हर रंग का वर्णन करो तो, पन्ने भी पड़ जाएंँगे कम।
जब कलम पकड़ती हूँ, तो लकड़ी छूट जाती है! जब कलम पकड़ती हूँ, तो लकड़ी छूट जाती है!
फिर कलम से कर ली थीं मैंने दोस्ती, दिल-ए-जज़्बात शब्दों में सजाने को। फिर कलम से कर ली थीं मैंने दोस्ती, दिल-ए-जज़्बात शब्दों में सजाने को।
तब से लेकर सारा वर्ष मिलता रहा मान। बढ़ चुकी मेरी सारे विश्व में शान।। तब से लेकर सारा वर्ष मिलता रहा मान। बढ़ चुकी मेरी सारे विश्व में शान।।